1037 निजी स्कूलों की जांच 240 करोड़ फीस ज्यादा वसूली

0

            सबसे सस्ती चीज सबसे मंहगी

जबलपुर … शिक्षा पाना सबसे सस्ता होता था, हर बड़े- बुजुर्ग कहते भी थे कि शिक्षा से सस्ता कुछ नहीं है। परंतु आज की शिक्षा पाना मतलब खुद को गिरवी रखना। यह बात ऐसी ही नहीं हो रही है, इसका एक कारण है। दरअसल जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों पर जो हंटर चलाया है वह सदियों तक याद किया जाएगा। 11 स्कूल के संचालक और प्रिसिंपल को हिरासत में लेकर यह बताया है कि लूट-खसूट करने वालों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा

विदित हो कि कलेक्टर दीपक कुमार ना ने बीते दिनों निजी स्कूलों के क एक मुहिम चलाई थी जिसके निजी स्कूलों के खिलाफ आम से शिकायतें बुलवाई थी इनमें पुस्तक और ड्रेस के मामले में  पर आम लोगों ने जिला न को शिकायतें की थी इसमें ढाई सौ शिकायत है आम लोगों एफ से जिला प्रशासन को मिली नमें जबलपुर के सैकड़ों निजी के खिलाफ जांच शुरू की गई न स्कूलों पर आरोप लगाया गया इन्होंने नियम विरुद्ध तरीके से की फीस बढ़ा दी थी। मध्य मैं 2017 में निजी स्कूलों के नन के लिए एक अधिनियम किया गया था इसके तहत कोई स्कूल बिना सुविधा बढ़ाये 10  तक से ज्यादा फीस नहीं बढ़ाई कती वहीं दूसरी तरफ इससे क फीस बढ़ने पर जिला प्रशासन नुमति की जरूरत होती है। इस

शिक्षाविदों पर की गई कार्रवाई पर पुलिस प्रशासन लगातार बारीकियां के साथ अध्ययन हुएप्रशासनिक तंत्र से कानूनन रुप से जुड़ा रहा करते और सुबह होते ही 6-00 बजे कंट्रोल रूम में 20 दलों को कार्यवाही का प्रशिक्षण देते हुए तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया गया और सभी थाना अंतर्गत शिक्षाविदों को गिरफ्तार करते हुए वैधानिक कार्यवाही की गई। आदित्य प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक जबलपुर

मामले में जिला प्रशासन ने जांच की और जबलपुर के इन स्कूलों ने बिना नियम के अपनी फीस में बढ़ोतरी कर दी। जबलपुर जिला प्रशासन ने क्राइम ब्रांच की मदद लेकर  अभी तक इन स्कूलों ने 81 करोड़ 30 लाख रुपए 21000 बच्चों से ज्यादा फीस के तहत वसूल की है। जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के मुताबिक अनुमानित 1037 निजी स्कूल में जांच की गई तो 240 करोड रुपए की अतिरिक्त फीस वसूली गई हैं।

64 प्रतिशत किताबें नई लागू की गई

जबलपुर कलेक्टर ने बताया कि स्कूलों ने 2024 से लेकर किताबों में लगभग 4 करोड़ से ज्यादा का कमीशन खाया। इन स्कूलों में 64 प्रतिशत किताबें ननई लगाई गई, इतना ही 89 प्रतिशत किताबें फर्जी आईएसबीएन नंबर वाली किताबें चल रहीं थी। जिला प्रशासन का कहना है कि जो गैर कानूनी तरीके से फीस बढ़ाई गई है, वह फीस यदि वापस कर देते हैं तभी जांच से बच जाएंगे इसी तरीके से किताबों की मोनोपोली खत्म करके ऐसे सरल कर ले तो प्रशासन इन लोगों पर कार्यवाही नहीं करेगा।

स्कूलों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 और आईएसबीएन नंबर के कानून का उल्लंघन करने के आप में धारा 471 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिला प्रशासन ने जांच में पाया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *