संतों ने की अपील : अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति की प्रतिमाओं का विसर्जन करें

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     पितृ पक्ष में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन अशुभ
जबलपुर….गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में दिये गये निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिये। पितृपक्ष में गणपति की प्रतिमा का विसर्जन नहीं होता। अनंत चतुर्दशी के दिन जब हवन-पूजन हो जाता है तो उसके ठीक बाद प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाना चाहिये। बाद में विसर्जन से अनिष्ट की आशंका होती है। विसर्जन जुलूस में भी सादगी और गरिमा होनी चाहिये।
ये विचार संत जनों ने अपनी उस अपील में व्यक्त किये हैं, जिसमें उन्होंने शहर के नागरिकों और गणेश उत्सव समितियों से अंनत चतुर्दशी पर ही गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करने का आग्रह किया है। ज्ञात हो कि कलेक्टर दीपक सक्सेना की पहल पर जिला प्रशासन एवं सन्त जनों ने गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन शास्‍त्र सम्‍मत विधि अनुसार एक ही दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर ही करने की मुहिम प्रारंभ की है।
महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी जी महाराज ने आम जनता और गणेश उत्सव समितियों से आग्रह किया है कि वे एक ही दिन प्रतिमाओं का विसर्जन करें। उन्होंने कहा कि गणेश विसर्जन का विधान अनंत चतुर्दशी के दिन ही है। अनंत चतुर्दशी पर ही विसर्जन करना शास्‍त्र सम्‍मत माना गया है, इससे सुख समृद्धि आती है। इसके बाद किसी और दिन विसर्जन करने से अनिष्ट की आशंका होती है।
अध्‍यक्ष नगर पंडित सभा आचार्य पं. वासुदेव शास्त्री ने कहा कि 17 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी है और इसी दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि निर्णय सिंधु ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही विसर्जन का प्रावधान है। भक्तिधाम ग्‍वारीघाट के स्वामी अशोकानंद ने कहा कि जो विधान है उसी के अनुसार कार्य किये जाने चाहिये।
ज्‍योतिष तीर्थ पं. रोहित दुबे ने कहा कि शास्त्रों के मुताबिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन दसवें दिन ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हवन के बाद प्रतिमा रखने का कोई औचित्य नहीं है।

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