नवनिर्मित कुटुम्ब न्यायालय भवन, बाल-सुलभ न्यायालय कक्ष एवं आवासीय परिसर का ऑनलाइन उद्घाटन
जबलपुर….माननीय न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत, मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा 3 अप्रैल, 2024 को जिला झाबुआ और बालाघाट में नवनिर्मित ‘कुटुम्ब न्यायालय’ भवन, जिला शाजापुर, बुढ़ार (शहडोल), राजेंद्रग्राम (अनूपपुर), कोलारस (शिवपुरी) में ‘आवासीय परिसर’ और मनावर (धार) में ‘बाल-सुलभ न्यायालय’ कक्ष का उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा, प्रशासनिक न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, मुख्यापीठ जबलपुर, माननीय न्यायमूर्ति श्री सुबोध अभ्यंकर, न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय झाबुआ, माननीय न्यायमूर्ति श्री विशाल मिश्रा, न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय बालाघाट, माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती अनुराधा शुक्ला, न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश शहडोल और अनूपपुर, माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव एस. कलगाओंकर, न्यायाधीश, मप्र उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश शाजापुर, माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रेम नारायण सिंह, न्यायाधीश, मप्र उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश धार, माननीय न्यायमूर्ति श्री हिरदेश, न्यायाधीश, मप्र उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश, शिवपुरी, माननीय न्यायमूर्ति श्री अवनींद्र कुमार सिंह, न्यायाधीश, मप्र उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश बालाघाट, माननीय न्यायमूर्ति श्री गजेंद्र सिंह, न्यायाधीश, मप्र उच्च न्यायालय और पोर्टफोलियो न्यायाधीश झाबुआ और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय साथी न्यायाधीशगण कि गरिमामई उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर, माननीय मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि झाबुआ और बालाघाट में नए ‘कुटुम्ब न्यायालय’ भवन पारिवारिक विवादों से निपटने के लिए एक सुव्यवस्थित स्थान प्रदान करेंगे। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि मनावर, जिला धार में ‘बाल-सुलभ न्यायालय’ कक्ष युवा गवाहों और पीड़ितों के लिए एक सुरक्षित और आश्वस्त स्थान प्रदान करने के लिए निर्मित किया गया है, जबकि नवनिर्मित आवासीय परिसर सुसज्जित और आरामदायक आवास प्रदान करेगा, जिससे न्यायिक अधिकारी अधिक ध्यान और दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि प्रगति को केवल कानूनों और निर्णयों से नहीं मापा जाता है, बल्कि इस बात से भी मापा जाता है कि लोग कितनी आसानी से न्याय की प्राप्ति कर सकते हैं। इन परियोजनाओं के लिए 24 करोड़ रुपये से अधिक राशि का उपयोग किया गया है। नए ‘कुटुम्ब न्यायालय’ भवन में कोर्ट रूम, फाइलिंग सेक्शन, काउंसलिंग रूम, कॉमन रूम, क्रेच और अन्य आवश्यक सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था है। ‘बाल-सुलभ न्यायालयों में कोर्ट रूम, गवाहों के लिए प्रतीक्षा कक्ष, कॉमन रूम और अन्य सुविधाएँ शामिल होंगी। न्यायिक अधिकारियों के लिए कुल 14 आवासीय आवास उपलब्ध कराए जाएंगे - बुढ़ार (शहडोल) में 5, शाजापुर में 5, राजेंद्रग्राम (अनूपपुर) में 2, और कोलारस (शिवपुरी) में 2। माननीय पोर्टफोलियो न्यायाधीशगण ने न्याय को बढ़ाने में नए पारिवारिक न्यायालयों, आवासीय परिसरों और बाल-अनुकूल न्यायालयों के महत्व को रेखांकित किया। उक्त कार्यक्रम में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल श्री धर्मिंदर सिंह ने स्वागत भाषण दिया और रजिस्ट्रार (कार्य और अवसंरचना) श्री युगल रघुवंशी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

