कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रोता
कटनी/ स्लीमनाबाद …जिले के स्लीमनाबाद में श्री मद भागवत कथा रूपी अमृत मई गंगा प्रवाहित हो रही है श्रीमद भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्म की कथा का वर्णन किया।स्लीमनाबाद में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास बाल ब्रह्मचारी संत शिरोमणि ब्रम्हानंद दास जी महराज ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान आचार्यश्री ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया…, कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में…, में तो नंद भवन में जाऊंगी…, यशोदा जायो ललना…, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए। इस दौरान महराज श्री ने कहा कि आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत: उसे भोगना पड़ता है। मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कलां सिखाती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है भगवान जन्म की कथा को श्रवण कर भक्त श्रद्धालु जन भाव विभोर हो गए कथा में इस दौरान शेखर अग्रहरी दादा पाण्डेय राम जी पाण्डेय मदन सिंग ठाकुर भगत सिंह ठाकुर ललित मिश्र मनोज मिश्रा पंकज दुबे नीलू पांडे पुरुषोत्तम झरिया प्रशांत शुक्ला सहित बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धालु जन मौजूद रहे

