माँ शब्द में आकार में विकसित किया जा रहा नमो उपवन :-

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जबलपुर…..ग्राम सगड़ा झपनी में नमो उपवन का निर्माण नर्मदा परिक्रमावासी के आश्रय के लिये चिन्हित भूमि पर किया जा रहा है। नर्मदा परिक्रमावासियों के आश्रय स्थल के लिये यहाँ कुल सात एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। इस पूरे क्षेत्र में तार फेंसिंग की गई है। इसमें से 26 हजार वर्ग फीट में मियावाकी तकनीक से कुल 6 हजार 990 पौधे रोपे गये हैं। इन पौधों में 2 हजार 330 पौधे सीताफल, नीम, जामुन, आम, अर्जुन, गुलमोहर, इमली, कदम, गुलर, शीशम प्रजाति के, 2 हजार 330 पौधे कचनार, झारूल, करंजी, आवंला, मौलश्री, अमलतास, कनेर (पीला), टीकोमा, बाटलब्रश, बेल प्रजाति के तथा 2 हजार 330 पौधे चांदनी, चमेली, मधुकामनी, कनेर (लाल), मोगरा, मेंहदी, गंधराज, मधुमालती, कलिंद्रा, देसीरोज प्रजाति के रोपे जा रहे हैं। इस प्रकार यहॉं कुल 6 हजार 990 पौधे शामिल हैं। मियावाकी पद्धति से पौधारोपण का कार्य “एक बगिया माँ के नाम” कार्यक्रम के तहत पिछले लगभग डेढ़ माह से यहाँ चल रहा था।

            पौधारोपण के गड्ढे करना थी बड़ी चुनौती.

ढलान और कठोर चट्टानों वाली इस भूमि पर पौधे रोपने के लिये गढ्ढे करना चुनौती से भरा कार्य था। इसके बावजूद सरपंच सहित स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों, सहायक यंत्री रामराज दांगी, पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक द्वारा इसका सामना कर पौधा रोपण हेतु गढ्ढे कराये गये। पौधा रोपण में स्थानीय स्तर पर निर्मित किये गये जीवामृत का उपयोग किया जा रहा है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक गेहलोत के मार्गदर्शन में नमो उपवन की कार्ययोजना को अमल में लाने में जनपद पंचायत जबलपुर की टीम का सराहनीय योगदान रहा।

                      भविष्य की योजना :-

भविष्य में यहां पर नर्मदा परिक्रमावासियों के लिये आश्रय स्थल का निर्माण किया जायेगा जो कि सर्व सुविधायुक्त होगा। जिससे कि नमो उपवन का लाभ नर्मदा परिक्रमावासी के साथ-साथ जिले के नागरिकों को भी धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में मिल सके। भविष्य में इस स्थान पर आजीविका मिशन से ‘होम स्टे’, गौशाला आदि भी विकसित किये जायेंगे।

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