सिहोरा सिविल अस्पताल स्वयं कोमा में

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     क्षेत्रीय जनता कह रही हमारा यही दोष है कि….. ?
सिहोरा- लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर राज्य सरकार लगातार प्रयास करने का दवा करती है। हेल्थ फॉर ऑल, आयुष्मान भारत जैसी योजना चलाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग है। इसकी बानगी सिहोरा स्थित सिविल अस्पताल में भी देखी जा सकती है। यहां कहने को तो विशेषज्ञ सहित चिकित्सकों के 21 पद स्वीकृत हैं लेकिन सेवाएं एक दर्जन से भी कम की प्राप्त हो रही है। जांच सुविधाओं का आलम यह है कि यहां जांच उपकरणों को चलाने के लिए टेक्नीशियन तक नहीं है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से सुसज्जित करने के बाद भी सिविल अस्पताल सिहोरा रेफर सेंटर बनकर रह गया है। विधानसभा चुनाव के करीब आठ माह बीत जाने के बाद भी पता नहीं क्यों अभी तक अस्पताल की कोई खबर नहीं ली क्षेत्रीय जनता कह रही इसमें हमारा यही दोष है कि हमने……?
जिम्मेदारों की चुप्पी बनी चर्चा का विषय
जानकारी के अनुसार सिहोरा नगर की आबादी करीब 50 हजार से अधिक है वहीं सिहोरा के सराउंडिंग लगभग एक सैकड़ा से अधिक ग्रामों के ग्रामीण भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सिविल अस्पताल सिहोरा पर ही आश्रित है लेकिन चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण लोगों को मजबूरी बस महंगे निजी चिकित्सकों की शरण लेना पड़ती है।बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जिम्मेदारों की चुप्पी नगर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्लान सीजर बना मजबूरी
एक तरफ सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे रही है वहीं दूसरी तरफ एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की पदस्थापना ना होने के कारण सिहोरा अस्पताल में प्लान सीजर एंव क्रिटिकल कंडीशन में मरीज को रिफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ की उपलब्धता एवं सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर होने के बावजूद सिविल अस्पताल में प्लान सीजर करना मजबूरी बन गया है। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की पदस्थापना ना होने के कारण सप्ताह में केवल 1या 2 दिन सीजर ऑपरेशन प्लान किये जाते हैं।
शोपीस बनी बेशकीमती मशीनें
सरकार ने 100 बिस्तर वाली सिविल अस्पताल सिहोरा को आधुनिक मशीनों से सुसज्जित तो कर दिया लेकिन विशेषज्ञों की प्रतिस्थापन न किए जाने से महंगी महंगी मशीने शो पीस बनकर रह गई हैं।बताया जाता है की हड्डी रोग विशेषज्ञ की सुविधा सप्ताह में मात्र तीन दिन गुरुवार शुक्रवार शनिवार को उपलब्ध रहती है जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग में आए दिन होने वाली दुर्घटना के कारण हड्डी रोग मरीजो की संख्या काफी अधिक रहती है। ऐसे में सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद रेफर करना पड़ता है।
सौ बिस्तरों की सुविधा,विशेषज्ञ नहीं
प्राप्त जानकारी के अनुसार 100 बिस्तर वाले सिहोरा अस्पताल में चिकित्सकों के कुल 21 पद स्वीकृत हैं, जिसमें विशेषज्ञ के जनरल सर्जन, मेडिसिन,आर्थो गायनिक एवं पैथोलॉजिस्ट सहित 6 पद स्वीक्रत है लेकिन पदस्थापना मात्र 11 की है जिसमें विशेषज्ञ मात्र दो उपलब्ध है जो इमरजेंसी सहित ओपीडी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ओपीडी में प्रतिदिन एक चिकित्सक को 100 से 150 मरीजों की जांच करना पड़ रही है वर्कलोड अधिक होने के कारण पदस्थ चिकित्सक भी बीमार नजर आने लगे हैं विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने के कारण मरीज को जबलपुर जाना पड़ रहा है।
लगभग 1 वर्ष से नहीं हुई रोगी कल्याण की बैठक
प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव के बाद से सिविल अस्पताल सिहोरा की रोगी कल्याण समिति की बैठक का आयोजन लगभग एक शाल से नहीं हो सका है। जिसके चलते अस्पताल के संचालन के लिए आवश्यक अनेक मुद्दे बन्द फाइलो में माननीय की नजरें इनायत का इंतजार कर रहे है। अस्पताल के जो विकास कार्य तत्कालीन विधायक के समय अधूरे रह गये थे वे आज भी वैसे ही अधूरे ही पड़े हैं उन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी वर्तमान के जनप्रतिनिधि की बनती है लेकिन यहां तो इस समय स्थिति ही कुछ और है।
इनका कहना है
संसाधन उपलब्ध है लेकिन विशेषज्ञ एवं स्टॉक की कमी बनी हुई है। फिर भी बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के पुरे प्रयास किये जा रहे है
डॉ सुनील लटियार
प्रभारी सिविल
अस्पताल सिहोरा

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