श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के पहरेदार गहरी नींद में सो गए।

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             बालकृष्ण को गोद मे उठाकर नाचे श्रोता
सिहोरा–कथा व्यास पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी के सानिध्य में बड़े ही हर्षोल्लास व श्रीकृष्ण जन्म को पात्र अभिनय की प्रस्तुति ने जीवंत बना दिया श्रीमती मुन्नी बाई राजेंद्र प्रसाद क़ुररिया की स्मृति में शुक्ला जी की बखरी में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में वासुदेवजी के पात्र ने पीले वस्त्र धारण कर टोकनी में नन्हे बालक को श्रीकृष्ण के रूप में रखकर जब कथा श्रोताओं दर्शकों के बीच कथा पंडाल से निकले तो श्रोताओं ने नन्हे श्रीकृष्ण के चरण छूने बेताब हो गये
इस बीच कथा में प्रवचनकर्ता इंद्रमणि त्रिपाठी ने बालकृष्ण पात्र को गोद में उठाकर मंच से ही सबको भगवान श्रीकृष्ण स्वरूप के दर्शन करा दिए।
श्रीमदभागवत कथा प्रवचन में इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा की कंश के अत्याचार से तीनों लोक त्राहि-त्राहि कर उठे तो भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया कंस अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव से धूमधाम से कराने के बाद जब उन्हें छोड़ने जा रहा था तभी भविष्यवाणी सुनकर उसकी सारी खुशी काफूर हो गई उसने वासुदेव के अनुनय-विनय के बाद दोनों को कारागार में डाल दिया और एक-एक कर उनके छह बच्चों को मौत के घाट उतार दिया जब भगवान कृष्ण ने आधी रात को अवतार लिया तो सारे पहरेदार गहरी निद्रा में सोए हुए थे और हथकड़ियां व कारागार के ताले अपने आप खुल गए वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रखकर गोकुल में छोड़ आए और वहां से माया रूपी बालिका को अपने साथ ले आए इधर जब कंश बच्चे के रोने की आवाज सुना तो कारागार की तरफ दौड़ पड़ा उनके हाथों से छीनकर जैसे ही उसने माया को जमीन पर पटकने का प्रयास किया तो वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और कहा की तुझे मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है
कथा के दौरान कृष्ण जन्म की झांकी देख श्रोता आनंद में झूम उठे इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की भव्य आरती शशि क़ुररिया, राजेश कुररिया, रजनीश क़ुररिया, नीरजा कुररिया,अर्पण क़ुररिया,निशाली कुररिया,आदित्य क़ुररिया,डाली कुररिया भक्तों ने की।

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