स्कूलों के फर्श दीवारे छत बर्फ के समान

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सिहोरा वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में शीतलहर के साथ बर्फीली व हाड़कपाऊ ठंड से स्कूलों में बच्चे कांपते और ठिठुरते हुए स्कूल पहुंचते हैं। शीतलहर की वजह से धूप में बैठने के बाद भी बच्चों को ठण्ड लगती रही।शीतलहर से हुई ठंड में अपेक्षाकृत वृद्धि को देखते हुए अभिभावकों की मांग है की वर्तमान में पड़ने वाली बर्फीली हवाओं से युक्त ठंड प्रायमरी वा मिडिल स्कूल के बच्चों की दृष्टि से असहनीय हो रही है। अभिभावकों ने बच्चों के लिए अवकाश की मांग जिला प्रशासन से की है।
*सरकारी स्कूलों के बच्चों को दिए जाएं गर्म कपड़े… अभिभावकों का कहना है कि शासकीय स्कूलों में अपेक्षाकृत गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं उनके पास ठंड से बचने ऊनी स्वेटर, टोपा आदि नही रहते शर्ट, पेंट में ठिठुरते हुए स्कूल आते हैं। अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को गर्म कपड़े ऊनी स्वेटर आदि देने की मांग भी की है।शीतलहर के कारण अत्यधिक ठंड पड़ रही हैं।आगामी दिनों में तापमान में और गिरावट आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
*स्कूलों की दीवारें व फर्श ठंडे…इस संबंध में शिक्षकों उत्तम प्रसाद तिवारी, उमाकांत पटेल, मनीष त्रिपाठी, राम निरंजन दुबे, पंछी राम कोरी,घनश्याम पटेल, लखन मिश्रा, शशि लखेरा,आरती दुबे,मीना कैथवास, रिचा गौर ने बताया कि रात्रि में ओस रूपी बर्फ गिरने से की छत के साथ साथ दीवारें व फर्श बर्फ के समान ठन्डे रहते हैं।फर्श पर बिजली टाट पट्टी पर जब बच्चे बैठते हैं तो उन्हें फर्श बहुत अधिक ठंडा होता है,स्कूल की दीवारों पर टिकते ही बच्चे ठंड से कराह व सेहत पर असर- शीतलहर से हाड़कपाउ ठंड का असर यह है बच्चे ठंड को सहन नही कर पा रहे हैं। शासकीय स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं।उनके पास ऊनी स्वेटर और गर्म कपड़े आदि की व्यवस्था नहीं है।जिसके कारण सरकारी स्कूलों में शीतलहर के चलते बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल आ रहे हैं।अधिक ठंड की वजह से देखा गया है कि अधिकांश बच्चों को सर्दी,जुकाम,सिर दर्द इत्यादि की परेशानियां भी हो रही है।
प्रतिकूल मौसम के प्रभाव को देखते हुए अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज कर रहे हैं।जिससे औसत उपस्थिति पर असर पड़ रहा है।

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