इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने भगवान श्री कृष्णा ने गोवर्धन पूजा प्रारंभ करवाई

सिहोरा… सिहोरा के बाबा ताल स्थित शिव मंदिर में कथावाचक इंद्रमणि त्रिपाठी ने श्री कृष्ण बाललीला प्रवचन देते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन पूजा व बाललीला के प्रसंग को श्रोताओं के बीच सुनाते हुए व्यास गद्दी की आसंदी से श्रीमद्भागवत पुराण कथा वाचन करते हुए कहा कि इंद्रदेव का अंहकार तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों काे इंद्र का पूजन नहीं करने दिया था। जब इंद्रदेव का अंहकार तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों काे इंद्र का पूजन नहीं करने दिया था। जब इंद्र ने अपना रोद्र रूप दिखाया था तब भगवान श्रीकृष्ण ने सभी गोकुलवासियों को गोवर्धन पर्वत पर लेकर जाकर छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर उनकी रक्षा की थी।जिसमें उन्होंने कहा गोवर्धन पूजा की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। उससे पूर्व ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। मगर जब भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता क्योंकि वर्षा कराना तो उनका धर्म है और वह सिर्फ अपना कार्य करते हैं। इसकी जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए जो हमारे गाेधन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है, जिससे हमारा पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए। कथा उपरांत श्रीमद् भागवत पुराण में प्रवचन कर्ता कथावाचक इंद्रमणि त्रिपाठी ने भगवान गिरधर गोपाल की आरती कराई जिसमें भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


