धर्म की स्थापना करने लिए अवतरित होते है भगवान संत ब्रम्हानंद दास जी महराज

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे
कटनी/ स्लीमनाबाद …जी हा ऐसी ही कथा कटनी जिले से सैकड़ों की सख्या में भक्त जन उत्तराखंड के पवित्र धाम बद्रीनाथ में श्रवण कर रहे है जब जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर होता है तब तब धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान पृथ्वी में अवतरित होते है और धर्म की स्थापना करते है आज सोमवार को श्री मद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान के जन्म की कथा का प्रसंग आया कथा व्यास बाल ब्रह्मचारी संत शिरोमणि ब्रम्हानंद दास जी महराज ने कथा के दौरान बताया की जब जब पृथ्वी में पाप बढ़ता है धर्म की हानी होने लगती है तब तब भगवान पृथ्वी तल पर अवतरित होते है इसके पूर्व महराज श्री ने ध्रुव चरित्र भक्त प्रहलाद प्रसंग सहित महराज बलि की भक्ति का वर्णन किया महराज श्री ने बताया की जब जन्म जन्मांतर के पुण्य उदय होते है तब ये भागवत कथा किसी पुण्य तीर्थ धाम में श्रवण करने का अवसर मिलता है महराज श्री ने भगवान की कथाओं को सुनाकर सभी को प्रसन्न चित्त किया भजनों के माध्यम से पहुंचे भक्त श्रद्धालु जनों ने भगवान के जन्म में बधाई देते हुए खूब ठुमके लगाए
